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हम सभी ने अपनी पाठ्य पुस्तक में ये दोहा पढ़ा है , निंदक नियरे राखिये …………….और देखा जाए तो ये बहुत ही सार्थक है, क्योंकि चापलूस और हमेशा आप के मुंह पर मीठा बोलने वाले आपका सदैव नुक्सान ही करते है , लेकिन निंदक आपको बेहतर से बेहतर बनाने में भूमिका अदा करते हैं. मैं भी यहाँ बहुत कुछ सीखने का प्रयास करती हूँ, मेरे लेख बहुत छोटे होते हैं क्योंकि मुझे ऐसा लगता है अपनी अभिव्यक्ति कम से कम शब्दों में हो तो अच्छा है, ताकि भूल से कोई ब्लॉग पढ़े भी तो उसे अपना ज्यादा समय खर्च ना करना पड़े , और मेरी बात भी हो जाए . यहाँ एक से एक लोग हैं लिखने वाले, मैं भी तकरीबन सभी को पढने का प्रयास करती हूँ , पर सभी को प्रतिक्रिया भेजना मुश्किल हो जाता है , समय के अभाव के कारण , फिलहाल कबीर जयंती पर हम कबीर जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करें , और उनके दोहों को जीवन में उतारने का प्रयास करें
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