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मुझे गर्व है की मैं नारी हूँ, जननी हूँ शक्ति हूँ मुझसे यह जगत उत्पन्न हुआ है और मैं ही पालनहार हूँ , परन्तु दुःख है महिला दिवस के सौ साल पूरे होने पर भी इस विश्व को महिला दिवस के दिन ही याद आती हूँ , उसी दिन मेरी चर्चा होती है और उसके बाद अगले महिला दिवस पर याद की जाती हूँ , बड़े बड़े आयोजन होते हैं तारीफों के पुल बंधे जाते हैं , लेकिन उन महिलाओं का क्या जो आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं , उनका क्या जो आज भी हवास का शिकार होती हैं , उनका क्या जो आज भी देह व्यापार में फंसा दी जाती हैं , उनका क्या जो आज भी ससुराल में प्रताड़ित की जाती हैं सैकणों उदाहरण है जहाँ महिला आज भी बेबस है क्यों नहीं इस दिन तमाम सेमिनार्स में उनकी तकलीफों का अंत कैसे हो इसके बारे में कदम उठाया जाता है , असली महिला दिवस तभी होगा जब हर नारी अपनी पुरानी जटिल समस्याओं से उबर पाएगी उस pratek हैवान का सर कुचल पायेगी जिसने उसे अबला बना रखा है और वह भी गर्व से कह पाएगी हाँ मैं नारी हूँ और मैं सबला हूँ. मैं हूँ जननी हे मेरे जनक इतना तो उपकार करो इस बेदर्द जमाने में मेरी शक्ति को एक आधार तो दो . अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरी ओर से सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाये इश्वर महिलाओं को इतनी शक्ति दे की हर दिन महिला दिवस हो . धन्यवाद ऋतू
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